
रेतविक की धड़कनें तेज थीं। उसमें मोहब्बत से कहीं ज़्यादा जुनून था। वो सारू को गोद में लिए सीधे कमरे की ओर बढ़ा और बिस्तर पर लेट आया, जैसे अब और कुछ नहीं सुनना, कुछ नहीं समझना बाकी था। उसने अपने प्यार को उसके हर अंग पर बरसाना शुरू कर दिया।
बहुत ही गहरी, इंटेंस आवाज़ में उसने कहा, "इतने दिन की दूरियां... आज सबका हिसाब देना है। आज मैं सारा प्यार लुटा देना चाहता हूं... जाना, मैं तुमसे कैसे दूर रह पाया, खुद पर ही यकीन नहीं होता। बहुत पछतावा है मुझे।"

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