
रेयांश की उंगलियां उस नन्ही-सी butterfly के किनारों को धीरे-धीरे ट्रेस करने लगीं, जैसे किसी अनमोल कलाकृति को महसूस कर रहा हो। उसका हर स्पर्श सरू के भीतर अनगिनत सिहरनें छोड़ रहा था, मानो उसकी पूरी दुनिया उसी पल में सिमट आई हो।
रेयांश उसके पास झुकते हुए उसकी butterfly को टंग से सक करने लगा। अपनी फिंगर का उसे करते हुए दोनों साइड फैला कर टग का यूज करते हुए उसे काफी राहत मिल रही थी। उसका टच गहरा होता गया और वो उसी में खोया रहा। सरू की उंगलियां कब चादर को कसकर पकड़ने लगीं, उसे खुद नहीं पता चला। उसने आंखें बंद कर लीं और बस उस एहसास में डूब गई।

Write a comment ...